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लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2022 मनमौजी

आज जैसे ही जगा , एक चक्कर "प्रतिलिपि जी" का लगा आया । आजकल यही दिनचर्या हो गई है । सुबह सुबह की "मॉर्निंग वॉक" प्रतिलिपि के संग हो रही है । बड़ा अच्छा लगता है इस मॉर्निंग वॉक से । सारे स्वच्छ विचार ताजी हवा की मानिंद यहाँ मिल जाते हैं जो फेफडों को तरोताजा कर देते हैं । ज्ञान का तो अथाह भंडार भरा पड़ा है यहां पर । जितना चाहो ले लो , कोई कमी नहीं । जिसकी झोली जितनी बड़ी उतना ही अधिक समेटने को मिलता है यहां पर ज्ञान । कोई प्रतिफल भी नहीं देना पड़ता , मुफ्त में ही मिलता है । सबसे बड़ी बात यह है कि इस पर ना कोई GST है और ना ही VAT . सब प्रकार के करों से मुक्त है यह ज्ञान । इतना फ्री तो "सर जी" भी नहीं देते हैं जितना यहां मिलता है । 

तो आज हमने पाया कि मनमौजियों का मेला लग रहा था प्रतिलिपि पर । चारों ओर मनमौजी ही नजर आ रहे थे । रंग बिरंगे परिधानों में । कुछ पूर्ण वस्त्रों में तो कुछ अर्द्ध वस्त्रों में । शुक्र था कि कोई अधोवस्त्र में नहीं था वरना मनमौजियों का क्या है ? जो मन में आता है वही करते हैं । आजकल तो "मेरी मरजी" का जमाना है । जो चाहे पहनें , मेरी मरजी ।

मनमौजियों का सम्मेलन लग रहा था । सब बोल रहे थे मगर कोई सुन ही नहीं रहा था । सुनें भी तो क्यों सुनें ? किस की सुनें ? क्या सुनें ? अरे भाई , मनमौजी हैं तो बस अपने मन की सुनते हैं , और किसी की कहां सुनते हैं ? "कुकुरहाव" की सी स्थिति हो रही थी वहां पर । सब बोलने वाले । सुनने वाला कोई नहीं ।  मनमौजियों के सम्मेलन में यह तो होना ही था । 

इतना ज्ञान बरस रहा था कि सावन भी भीग गया था । सावन की दशा बड़ी विचित्र हो गयी । बड़ा गुमान था सावन को कि वह दुनिया को भिगोता है । मगर आज "मनमौजियों" के हत्थे चढ़ गया । इतना ज्ञान पेला कि कार्तिक में बाढ आ गयी और सावन उसमें बह गया । बेचारा सावन । लगता है अब दुबारा कभी हिम्मत नहीं करेगा किसी मनमौजी से मिलने की । मनमौजियों का क्या है , जो मन में आया वही करते हैं । ज्ञान पिलाना सर्वश्रेष्ठ कार्य है इसलिए जी भरकर पिलाते हैं । हमारे संस्कारों में वैसे भी "पीने पिलाने" को बड़ा महत्व दिया जाता है । लोग तो सार्वजनिक प्याऊ लगवाते हैं पिलाने के लिए । फिर कोई आंखों से पिलाता है तो कोई होठों से । कोई राजी राजी पिलाता है तो कोई जबरन । आजकल सोशल मीडिया नई " मधुशाला " बन गया है । यहां सब तरह का ज्ञान मुफ्त में पिलाया जाता है । 

तो हम भी मनमौजियों से ज्ञान का प्याला लेकर पीने लगे ।  "जो मन में आये वही करो " वाला ब्रांड ।  बड़ी अच्छी मदिरा है यह । बहुत पुरानी । और जितनी अधिक पुरानी उतनी ही अधिक नशीली । हमें भी नशा चढ़ गया । झूमते कदमों से घर लौटे । 

दरवाजे पर ही श्रीमती जी मिल गई । वे भी मनमौजी नंबर वन थीं । हमारे लड़खड़ाते कदम देखकर हमारा हाल समझ गई । हमने बहुत कहा कि हमने पी नहीं है । ई तो ज्ञान गंगा का पानी है जो जबरन हमें मनमौजियों ने पिला दिया है । इसमें हमारा कोई योगदान नहीं है । मगर वे कहां मानने वाली थीं । उन्होंने कहा कि ज्ञान की गंगा तो उन्हीं के श्री मुख से निकलती है । फिर बाहर जाकर डुबकी लगाने की हिम्मत कैसे की आपने । तो हमने भी कहा कि हम भी मनमौजी बनने की कोशिश कर रहे हैं । 

तब वे कहने लगीं  "इस घर में एक ही मनमौजी बन सकता है । जब पहले से ही एक मनमौजी घर में विराजमान हैं तब दूसरे की क्या जरुरत ? आपको पता नहीं है कि एक म्यान में केवल एक ही तलवार रह सकती है , दो नहीं । एक तलवार पहले से ही रह रही है । अब दूसरी तलवार नहीं रह सकती है वहां पर" । इतना कहकर वे अपने प्रिय अस्त्र "बेलन" के साथ पिल पड़ी । सारा ज्ञान वहीं उतार दिया । कहने लगी "खबरदार जो फिर कभी मनमौजी बनने की चेष्टा भी की । अभी तो बस ट्रेलर दिखाया है नहीं तो पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी " । 

हमको बात समझ में आ गयी । इंसान बेचारा स्वतंत्र कब रहा है । पैदा होते ही गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ है । पहले मां बाप की गुलामी फिर बीवी की । ऑफिस में बॉस की गुलामी । घर में पत्नी की तो बाहर "जबरे" की । मन की करें तो कैसे करें ? मनमौजी बनें तो कैसे बनें ?  हमें तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है । कोई ज्ञानी हो तो ज्ञानवर्धन कर उद्धार कर दे हमारा । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
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9 Comments

sunanda

01-Feb-2023 03:15 PM

beautiful

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Seema Priyadarshini sahay

23-Jan-2022 12:56 AM

बहुत सुंदर कहा सर।वहां अभी मैराथन चल रहा है

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Hari Shanker Goyal "Hari"

23-Jan-2022 06:13 PM

सुंदर समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार मैम

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Shrishti pandey

22-Jan-2022 03:09 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

23-Jan-2022 06:12 PM

धन्यवाद जी

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